शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

जीवता मॉ-बाप ने रोटी नही देवे,

कलियुग का बेटा
जीवता मॉ-बाप ने रोटी नही देवे,

मरिया पछे उणारो नामे सु जीमण जीमावे।

जीवता मॉ-बाप ने पोणी नही पावे,

मरिया पछे उणारे नोम री प्याऊ खोलावे।

जीवता मॉ-बाप सु मुन्डे नही बोले,

मरिया पछे उणारा जगह-जगह फोटू लगावे।

जीवता मॉ-बाप री सेवा नही करे,

मरिया पछे महोत्सव मनावे।

जीवता मॉ-बाप ने खुब रुलावे,

मरिया पछे पोते ऑसुडा ढलावे।

 जीवता मॉ-बाप रो इलाज नही करावे,

मरिया पछे उणोरा नाम सु दवाखानो बन्धावे।

जीवता मॉ-बाप ने खर्चो नही देवे,

मरिया पछे उणारो नोम सु सघ निकाले।

राजस्थानी  शव्दो का अर्थ
मरिया = मृत्यू।
जीमण जीमावे = मृत्यू पश्चात का महाभोज (खाना)।
पोणी = पानी ।
मुन्डे नही बोले = बातचीत नही करना। 
ऑसुडा ढलावे = दिखावे के ऑसु।
सघ निकाले = धार्मिक यात्राए निकालना।
प्रेमलता एम सेमलानी

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