रविवार, 9 मई 2010

जय जननी

जय जननी
"माँ " शब्द, रिश्तो को समझने के लिए बना है । बहुत कम लोग "माँ" को माँ नाम से पुकराते है।
जैसे भगवान् को भक्त कई नामो से पुकारता है उसी तरह माँ को भी लोग क्षेत्र , भाषा , एवं परिवार के परिवेश अनुसार पुकारते है। कोई "बा" कहता है, कोई "बई" कहता है , कोई "काकी " कहता है , कोई "आई " कहता है, तो कोई "मम्मी" तो कोई "मोम- या मम्मा" हजारो नाम है - माँ, को पुराने में। भगवान और माँ को छोड़ किसी भी के लिए इतने नाम प्रयुक्त नही होते है.

जब चलती हो तुम
तो क्यों लगता है
कि सब कांटे
ले गई तुम
अपने पावो से
बुहार कर !

एक कार्यक्रम के सचलान में एक युवक छात्र ने मुझसे पूछा था-" सर! आप किस सुंदर नायिका के फैन है ?" मेरे सामने मेरी ७० वर्षीय माँ का चमकता हुआ चेहरा दिखा. बच्चपन में उसे देख कर मै रोना बंद कर देता था। जब माँ आती थी तो उसके ऑंचल में छुपकर फुट फुटकर रोता था....न हिचकी थमती ना आंसू! ग्रामीण परिवेश के अनेक बन्धनों में बंधी माँ की विवशता समझने का बुता नही था मुझमे....अंघरे कमरे में टिमटिमाते लालटेन की घिमि रौशनी में मुझे सीने से लगाने को बांहे फैलाए माँ, माँ मरियम -सी लगती माँ का वह रूप मेरे जेहन में आज भी ताजा है .माँ की वह मधुरिम चमक सब भूल जाने को विवश कर दुबारा उनके बिना जीने की ऊर्जा भर देता था!
मैंने युवक छात्रों से कहा-" माँ का फैन हू क्योकि संसार में उससे ज्यादा कोई सुंदर नही।
भगवान भी नही!!!!

मै नही कहता
की तुम दैवी हो
इसमें भी अगर
कोई श्रेष्ठ
कृति है
तो वो तुम हो
हां! तुम हो!
मेरी माँ!
नही बदला तुमने
कोई चोला
ना ही पहना कोई
मुखोटा
प्यार ही तेरा रूप था
प्यारा ही तेरा रूप है!

आज मै ४१ वर्ष का हु । २००५ को मेरी बई (माँ) हमे छोड़ इस नश्वर संसार से अलिवाद हो गई .... माँ बड़ी ही शांत स्वभाव , सरल व्यक्तित्व कि थी. मैंने मेरी माँ मे साक्षत इश्वर का रूप पाया. वो दुनियादारी कि झंझटो से कोसो दूर रहती थी॥७५ वर्ष कि उम्र में भी उसके सिर पर एक भी सफेद बाल नही था. .... हम चारो भाई माँ को कभी अकेला नही छोड़ते थे .....एक क्षण भी माँ नजरो से ओझल होती तो लगता था हमारे प्राण सुख रहे है. क्यों कि हमारी आत्मा तो माँ के आचल में थी .....आज मै जो भी हु माँ के आशीर्वाद से हु. उस पुण्यशाली आत्मा का ही बल है जो मै खड़ा हु.

जब छूता हू धरती को
तो लगता है
क्या ये भी
सहती है इतना बोझ
तुम जितना!
फिर सोचता हू
तुम सहती नही
बस गले लगाती हो॥

वह निस्वार्थ होने का गुण रखती थी॥ वह निर्मल थी । मेरी माँ पुरे परिवार क़ीएक धरोहर थी...पुराने युग कि >मुझे उसके तन से एक सुगंध -सी आती थी माँ के मन की सुगंध, माँ के तन की सुगंध! वह अतीत से जुडी हमारी वर्तमान है। अतीत का वैभव , वर्तमान का खण्डहर मन में छिपाए मान- सम्मान का बवंडर ऐसी है, मेरी लोकप्रिय नायिका
माँ!
मेरी बाई !
मेरी आई!
मेरी मम्मा!
मोम!
....अम्मा !!

उसका फोटू क्या दू हिन्दू की , मुसलमान की, सिख की, ईसाई की , गरीब की, अमीर की , नीच की, उच्च की जैसी बूढी माँ होती है वैसी ही है -
मेरी माँ!

माँ! पहले आंसू आते थे
और तू याद आती थी !
आज तू याद आती है और आंसू आते है।

महावीर बी। सेमलानी "भारती"

रविवार, 28 फ़रवरी 2010

मेरे भाई को हेपी बर्थ डे की स्पेशियल सप्राइज देने आई हु

सभी ब्लोगर अंकल जी आंटीजी, दीदी ओर भैयाजी, मै मिताली महावीर सेमलानी आप सभी को सादर प्रणाम करती हू. एन्ड आप सभी को हेपी होली. पता है आज मै आप सभी के सामने क्यों उपस्थित हुई हु ? बताओ.... बताओ .... ?
क्यों शास्त्री अंकल पहचाना ?  नहीं ना ? मुझे पत्ता है आप मुझे कैसे याद रख सकते है मै कोई रामप्यारी दीदी थोड़ी हु ?

चलो आपको बता देती हु.. मै मिताली हु, वन इयर बिफोर i केम टू "हे प्रभु यह तेरापंथ ब्लॉग"  फॉर सैलीब्रेशन ऑफ़ माई मोंम डेड वेडिंग एनिवर्सरी  तो आज मै मेरे भाई को हेपी बर्थ डे की स्पेशियल सप्राइज देने आई हु.

यू तो मेरे बड़े भैया  जयेश का जन्म दिन २९ फरवरी है.  यह वो ही तारिक है जिस दिन मोरारजी देसाई अंकल का जन्म हुआ था.  चुकी यह तारिक चार साल में एक ही बार आती है इसलिए जयेश भैया का बर्थडे प्रति वर्ष २८ फरवरी को मनाते है. तो आज जयेश भैया का बर्थ डे है ओर हम सपरिवार रात १२:१ को केक काट कर हेपी बर्थ डे सेलिब्रेट कर रहे है.
जयेश भैया! हेपी बर्थ डे टू यू .
भैया, जन्मदिन की ढेर सारी गिफ्ट एवं खुशियों के साथ मम्मी पापा का ढेर सारा आशीष प्यार! छोटी बहन का खूब प्यार भी .जयेश भैया की बोर्ड एक्साम्स शुरू हो गई है इसलिए बर्थ डे घर पर ही मना लिया है. ओर मेरी एक्साम्स कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी, तो अब चलते-चलते  हेपी-होली के साथ आप सभी को सादर प्रणाम !

मंगलवार, 26 जनवरी 2010

जय हिंद, जय हिन्दुस्थान..

ये तुलसी, ये मीरा . ये रसखान की मिटटी है.
ये गांधी, ये बिस्मिला  के बलिदान कि मिटटी है..
यही गूंजती है सदाए, अमन चैन की .
यह मेरे प्यारे हिन्दुस्थान की मिटटी है...

मै ही गंगा, मै ही जमना, मै ही चम्बल का पानी हू.
मै ही दुर्गा, मै ही रजिया, मै ही झांसी की रानी हू..
मेरे सिने में रहती है नमाजे और पूजा भी .
मेरी भाषा हिंदी है मै तो हिंदुस्थानी हू..

नहीं तू इस कदर धनवान बाबा .
ख़रीदे जो मेरा ईमान बाबा ..
ये छोड़ अब मंदिर -मस्जिदों के झगड़े .
अरे छेड एकता की तानबान..

नादान न बन कोई तेरा यार नहीं है  .
जुल्मत में साया भी वफादार नहीं है..
वो सिख है ना इसाई , ना हिन्दू ना मुस्लमा.
जिस शख्स में इन्शान का किरदार नही है......

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं


जय हिंद, जय हिन्दुस्थान..
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रेमलता एम्. सेमलानी