ये तुलसी, ये मीरा . ये रसखान की मिटटी है.
ये गांधी, ये बिस्मिला के बलिदान कि मिटटी है..
यही गूंजती है सदाए, अमन चैन की .
यह मेरे प्यारे हिन्दुस्थान की मिटटी है...
मै ही गंगा, मै ही जमना, मै ही चम्बल का पानी हू.
मै ही दुर्गा, मै ही रजिया, मै ही झांसी की रानी हू..
मेरे सिने में रहती है नमाजे और पूजा भी .
मेरी भाषा हिंदी है मै तो हिंदुस्थानी हू..
नहीं तू इस कदर धनवान बाबा .
ख़रीदे जो मेरा ईमान बाबा ..
ये छोड़ अब मंदिर -मस्जिदों के झगड़े .
अरे छेड एकता की तानबान..
नादान न बन कोई तेरा यार नहीं है .
जुल्मत में साया भी वफादार नहीं है..
वो सिख है ना इसाई , ना हिन्दू ना मुस्लमा.
जिस शख्स में इन्शान का किरदार नही है......
जय हिंद, जय हिन्दुस्थान..
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रेमलता एम्. सेमलानी
3 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया!
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ.
बहुत सुन्दर रचना । गनतंत्र दिवस की शुभकामनायें
नहीं तू इस कदर धनवान बाबा .
ख़रीदे जो मेरा ईमान बाबा ..
ये छोड़ अब मंदिर -मस्जिदों के झगड़े .
अरे छेड एकता की तानबान..
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